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برای پرستو احمدی و دلیریِ بی همتایِ او |
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در ستایشِ«سپیده»دخترِ دانشجویی که شجاعتِ روشنایی را به تاریکی آموخت |
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هله خورشیدِ شباهنگِ تو آمد |
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شما... شمایلِ خورشیدِ عاشقی |
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گُلَم کُشتی... برای رضا رسایی |
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صدایِ من باش |
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شیش تا مردِ خبیث |
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آبادان وُ دلتنگی های بانویِ رود |
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بانویِ ما...یلدایِ دلشاد آمده.../ به یادِ همۀ آزاد دلان وُ عاشقانِ شادی |
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چایِ دبش وُ حُرمتِ نان وُ نمک |
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برای کودکانِ بی پناهِ غزه...و جهانِ جامانده در اغمایِ تماشا |
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براي توماج — خورشیدِ آشنایِ شهر |
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برای یلدا آقافضلی.قاضیِ قاتل نوشت:«متهم اظهار پشیمانی نکرد» |
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از زبان ایران:به نامِ تو برای تو؛تو زیباتر زِ عشقی...آرمیتا گراوند |
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از یادم نمی روی / برای آرمیتا گراوند که از عشق زنده است وُ عاشق نمی میرد |
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اشباحِ آشنا/ برای وحیده محمدی فر و داریوش مهرجویی:قاتلین میانمان |
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متنِ تن عقربِ دین / برای آرمیتا گراوند |
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شَمَدِ شِندرۀ شیاد |
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زن: رستاخیزِ خِرَد / سالِ مهسا سالِ زن فرخنده باد |
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گمان بُردی...!؟ |
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باور مکن مرگِ مرا برای سالگردِ ستارۀ آسمانِ دلِ ایرانیان:مهسا امینی |
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حریقِ هق هقِ ستاره ها...به یادِ سالِ 67 |
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حدیثِ اسطورۀ مردِ ماستی - پردۀ پایان |
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حدیثِ اسطورۀ مردِ ماستی |
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حدیثِ اسطورۀ مردِ ماستی(1) |
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آینه دارِ روشنی/ برای مجیدرضا رهنورد |
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بانویِ ماه |
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غریوِ باغِ مغرور |
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فریادِ ما پیمانِ ما |
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ایرانِ گروگان |
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به بهانۀ بهاران نوروز وُ روز وُ روزگار/با یادِ یاران بر قرار |
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سلام فرمانده... |
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برای توماج صالحی و سامان یاسین |
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برای امید مؤیدی و مویه های مادر... |
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درختِ سرخِ خانه مان |
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سلاخ خانۀ اسلامی |
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گریۀ گُل |
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اینک؛ شهرِ آیینه ها |
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سُرمۀ مرگ |
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زن زندگی آزادی |
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برای مهسا امینی |
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حضرتِ عشق |
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شعلۀ دشنه |
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همیشه مانندِ همیشه نیست |
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به دیدارِ من نیا |
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یاسِ بنفش |
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بگذار |
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آیلان |
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ای شما |
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عشق بازی در گورستان |
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شب آویز |
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شیوه های عاشقی |
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دکلِ گمشده اینجاست |
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نگاهم کُن جهانا |
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زیباترین باغِ جهانی |
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بانویِ باران |
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سراغِ دوست |
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مارلون براندو، افلاتون و |
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در دفترِ تنهایی |
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شبگیر و شباهنگ |
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سلام ای ستارۀ سفر |
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با ماهِ مه آزاد می گردم |
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فاصله یعنی سکوت |
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فرخنده جان مرجانِ من |
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رؤیایِ یار |
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شبِ لیلایی |
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روایتی از نیمرخِ سیب و معجزۀ زن بودن |
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مسافر داری ای دل؟ |
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بُن بستِ اسکله و کوسه ها |
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آرزوی آزادی |
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مناجاتِ حاجی موش |
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از تو |
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چاشت با خورشید |
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رَشمۀ وحشت |
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«بله برون» به سبکِ پساپُست مدرنیسم (یه ریزه سوررئالیسم) |
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«پای در زنجیرِ» سرما |
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شاپرکِ پشتِ پنجره |
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بوفِ برف |
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باد وُ خاکستر |
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شهردارِ وحشت |
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کارِ جهان |
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غزالِ کوبانی و سربندِ سرخ |
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عاشقانه زیستن |
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رخسارِ دخترانِ درخت |
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به خدای هالیوود سوگند که رستگار شدم |
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مرثیه ای برای همۀ فصل ها |
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پروانه |
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آزردگی ها |
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لالۀ داغدار |
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آهویِ نگاه |
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در پشتِ پردۀ پنتاگون چه می گذرد! |
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دلِ صنوبری1 |
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بانو مَرو! |
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چامه وُ پرچین |
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هفت اقلیمِ قَلَم |
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اینجا همیشه |
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زلزلۀ ظلم |
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وه که چه زیباست عشق |
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جانم به فدایت |
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چرخ ریسک |