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گُلا! مویت مجعد بود |
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گفتا شراب خواری؟ |
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به دو پستان بریده ی پروانه سوگند |
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تفنگچی ! پیر پر امیدمان که درگذشت |
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خون شویِ خندان رو |
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سهیلا ای انارت مست |
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کایلی بخند ای زنِ زیبا |
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الا تهرانِ لرزش ها |
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الا نیلوفرک! نیلوفر جانت سلامت باد! |
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الا ای شمس آگاهی ؟ از این زن های زندانی ؟ |
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الا بوکوحلال مهربان، آیا کجا هستید ؟ |
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نامش جمال بود همه ایران و عشق بود |
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در خیکمان چپاندند |
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خون را به چشم، سرمه ی بیداد کرده ام |
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خنیای سُرخینِ تخلیه |
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چیزی بگو، چیزی نگو، لاله مرداد سرب نوش! |